पुत्रदा एकादशी पर पूजा के समय करें इन मंत्रों का जप, देखें क्या है खास
- By Habib --
- Monday, 12 Aug, 2024
Putrada Ekadashi
सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है। इस तिथि पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु संग मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत रखा जाता है। इस व्रत के पुण्य प्रताप से निसंतान दंपतियों एवं नवविवाहित साधकों को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है।
वहीं, सामान्य साधक को मृत्यु लोक में श्रीहरि की कृपा से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। अत: एकादशी तिथि पर साधक श्रद्धा भाव से भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। अगर आप भी पुत्र रत्न का सुख प्राप्त करना चाहते हैं, तो पुत्रदा एकादशी पर विधि-विधान से भगवान श्रीहरि विष्णु एवं मां लक्ष्मी की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय इन शक्तिशाली मंत्रों का जप करें। इन मंत्रों के जप से पुत्र रत्न की शीघ्र प्राप्ति होती है।
संतान प्राप्ति मंत्र
1. अस्य गोपाल मंत्रस्य, नारद ऋषि:
अनुष्टुप छंद:, कृष्णो देवता, म
म पुत्र कामनार्थ जपे विनियोग:।
2.ऊँ कृष्णाय विद्महे दामोदराय
धीमहि तन्नो विष्णु प्रचोदयात।
3. ऊँ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं देवकीसुत गोविन्द वासुदेव
जगत्पते देहि में तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत: ।।
4. ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै।
5. क्लीं ग्लौं क्लीं श्यामलांगाय नम:।
6. ओम बाल शिवाय विदमहे कालिपुत्राय धीमहि तन्नो बटुक प्रचोदयात।।
7. प्रेम मगन कौशल्या निसिदिन जात न जान। सुत सनेह बस माता बाल चरित कर गान।।
8. ऊँ क्लीं गोपालवेषधराय वासुदेवाय हुं फट स्वाहा ।।
9. ऊँ नमो भगवते जगत्प्रसूतये नम: ।।
10. शान्ताकारं भुजंगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगन सदृशं मेघवर्ण शुभांगम् ।
लक्ष्मीकांत कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं
वन्दे विष्णु भवभयहरं सर्व लौकेक नाथम्॥
यं ब्रह्मा वरुणैन्द्रु रुद्रमरुत: स्तुन्वानि दिव्यै स्तवैवेदे:।
सांग पदक्रमोपनिषदै गार्यन्ति यं सामगा:।
ध्यानावस्थित तद्गतेन मनसा पश्यति यं योगिनो
यस्यातं न विदु: सुरासुरगणा दैवाय तस्मै नम:॥
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